प्रकाशित पुस्तके

अस्तित्व के पार ?

लेखक: श्री. ज्योतिराव लढके |

यह सृष्टि हमें दिखती है| हम उसे अनुभव करते हैं| फिर भी मनुष्य, पीढ़ियों से, उसके पार किन्हीं अलौकिक बातों को ढूंढने का प्रयास करता है|

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समाजवाद

लेखक: ज्योतिराव लढ़के |

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देवताओं के पुरखे तथा ममियॉं

लेखक: श्री. ज्योतिराव लढके |

मनुष्य ने तथाकथित अलौकिक शक्तियों से संबंधित संकल्पनाओं का अच्छा-खासा संग्रह एकत्रित कर रखा है| और यह दावा किया जाता है कि ये सारी बातें स्वयं ईश्वर से प्राप्त हुई हैं|

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खगोलीकी

लेखक: श्री. ज्योतिराव लढके |

यह आधुनिक भौतिक शास्त्र ह।

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अष्म युगांतर

लेखक: डॉ. वि. टी. इंगोले | अनुवादक: श्री. ज्योतिराव लढके

भिन्न-भिन्न क्षेत्र में कार्यरत छह व्यक्ति मिलते हैं| उनमें सभी विज्ञान, तंत्रज्ञान और व्यावसायिक गतिविधियों से जुड़े हुए तथा अत्यंत व्यस्त जीवन व्यतीत करनेवाले व्यक्ति हैं|

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अस्तित्व का स्वरूप

लेखक: ज्योतिराव लढके |

हमारे चारों ओर कुछ अस्तित्व में है| हम स्वयं भी इस अस्तित्व का एक हिस्सा है| हमारे दिमाग का स्वरूप कुछ ऐसा है कि इस अस्तित्व के बारे में जानने की, हममें उत्सुकता जागती है| लेकिन हम यह भी जानते हैं कि कुछ बातें ऐसी हैं जिनका उत्तर हमें कभी नहीं मिलेगा| जैसे इस अस्तित्व में जो विद्यमान है, वह सारी चीजें कहां से आईं ? कैसे आईं ? किस तरह आईं ? आदि| भले ही कुछ लोग ऐसे प्रश्नों के पीछे सारा जीवन खपा देते हैं| लेकिन विज्ञान ऐसे प्रश्नों में नहीं उलझता| वह तो बस उसका स्वरूप जानने में रुचि रखता है| प्रकृति के नये-नये रहस्य उसके सामने खुल रहे हैं| बात केवल उत्सुकता की नहीं है| मनुष्य इस ज्ञान का उपयोग मानवता की भलाई के लिए करना चाहता है|

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नक्सलवाद

लेखक: ज्योतिराव लढके |

आज कोई भी समाचार पत्र खोलने के बाद उसमें नक्सलवाद से संबंधित कोई न कोई समाचार आपको अवश्य मिलेगा। 1967 वर्ष में दार्जिलिंग जिले के सुदूर गांव नक्सबलबाड़ी में एक घटना होतीं है। उस गाँव के नाम से एक शब्द बनता है नक्सलवाद ।

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कहानियों की कहानी

लेखक: ज्योतिराव लढके |

जब दो व्यक्तियों के बीच संप्रेषण होता है तो वास्तव में एक की दूसरे को कहानी कहने की मंशा होती है, किसी व्यक्ति की, किसी घटना की, किसी प्रक्रिया की, किसी अनुभव की, रहस्य की मलिका को खोलने की, जानकारी अहाते में से घुमाकर लें की, स्मृतियों के प्रदेश में रममान करवाने की, विचार प्रवृत् करने की, तो बेचैन करके छोड़ने की, अनामिक प्रेरणा का स्त्रोत होने की, चर्चा या विवाद का स्फुल्लिंग छोड़ने की। सभीकुछ तुम्हे समृद्ध करनेवाला।

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आधुनिक भौतिक विज्ञान

लेखक : श्री. ज्योतिराव लढके

भौतिकशास्त्र शुरू में दर्शन के अन्तर्गत ही आता था| लेकिन सत्रहवीं सदी में इसका अपना स्वतंत्र अस्तित्व स्थापित हुआ| बीसवीं सदी आते-आते उसका जो विकास हुआ उस संबंध में...

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